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भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने की तारीफ़ वर्तमान गठबंधन सरकार की

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हरियाणा के मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा इस बात से आश्वस्त दिखे की जल्द ही भारत में भी दो दलीय व्यवस्था कायम होगी. वे मानते है आज केंद्र में कोलिशन सरकार सफलतापूर्वक चल रही है जबकि इससे पूर्व जितनी भी सरकारें केंद्र में गठबंधन में बनी है वे सभी अस्थिरता का शिकार हो गयीं. हुड्डा जी कोलिशन की अपरिहार्यता को स्वीकार करते हुए कहते हैं कि आज विकास के मानकों को तभी पाया जा सकता है जबकि वास्तविक कोलिशन का विकास राज्यों तक हो सके.

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हालांकि देश में कोलिशन संस्कृति के विकसित होने के लिए उनका केवल अपनी पार्टी को श्रेय देना निश्चित रूप से तथ्य के खिलाफ जाता है किन्तु इतना तो मानना होगा कि आज केंद्र में दुबारा कांग्रेस की सरकार कोलिशन के बल पर ही सत्ता में आ सकी है.

चीफ इकोनोमिक एडवाइजर श्री बासु ने भी वक्तव्य दिया तथा मंदी के दौरान भारत के द्वारा किए गए प्रदर्शन की खुल कर तारीफ़ की. उनका मानना है कि भारत में इन्क्लुशिव फंडे को अंजाम दिए जाने के परिणाम सामने आ रहे हैं. आज देश की आर्थिक वृद्धि दौर मंदी के बावजूद संतोषजनक रही है, गत वित्तीय वर्षों में हुए आर्थिक उपलब्धियों को रेखान्खित करते हुए उन्होंने भावी चुनौतियों का भी उल्लेख किया . जिसमें सार्वजनिक वितरण प्रणाली को सुव्यवस्थित करना, गरीबो की संख्या में कमी लाना, वितरण की अधिक बेहतर नीति को संचालित करना आदि शामिल हैं.


सुजीत भल्ला ने इस अवसर पर कहा की यूपीए सरकार ने बेहतर तरीके से कोलीशन को संचालित किया है तथा विकास के नए आयाम खोले हैं. देश में नए मध्य वर्ग का उदय उदारीकृत अर्थव्यवस्था का परिणाम है. प्रेस और मीडिया को पूरी व्यवस्था के लिए एक संतुलन और नियंत्रण कायम करने की भूमिका पहले से भी बेहतर ढंग से निभानी होगी. खाद्यान्न सुरक्षा एक जरूरी मसला है जिसके लिए अधिक बड़े स्तर पर प्रयास करना होगा.

मुद्दा सिर्फ इतना ही नहीं है कि भारत आज तेज आर्थिक विकास कर ले रहा है बल्कि मुद्दा यह है कि इस विकास का लाभ वास्तविक रूप से कितनों को मिल सका है, मुदा है कि मीडिया ने अपने कर्तव्यों को निभाया या वह भी व्यवस्था की पोषक बन गयी है, मुद्दा है कि हमारी राजनीति सही मायने में जनहितकारी बन पायी है या नहीं. देश को लोकतंत्र की राह पर ले जाने के लिए क्या किया जा रहा है? क्या हम वक्तव्यों, गोष्ठियों में इस बात की चर्चा कर संतुष्ट हो लेंगे या कि हम वाकई एक जाग्रत समाज की भूमिका निभा पाएंगे.

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