- 13 Posts
- 22 Comments
नक्सलवाद चिंता का विषय बन चुका है. देश में कई राज्यों की पुलिस पर नक्सलियों से मिले होने होने के आरोप लगाए जा रहे हैं. मानवाधिकार के नाम पर देश तोड़क शक्तियां भी अपराधियों और आतंकियों को बचाने की जुगत लगा रही हैं. विपक्ष के नेता अरुण जेटली की चिंता आज कुछ ऐसी ही थी.
अपने वक्तव्य में उन्होंने कहा कि माओवादी आज आज एक मिलिटरी ताकत में तब्दील हो चुके है. लोकतंत्र के लिए सबसे बड़े खतरे के रूप में उनका उदय तानाशाही को कायम करने का प्रयास है. नक्सली अपने प्रभाव वाले क्षेत्रों में विकास नहीं होने देते, पुल, दूरसंचार टावर उड़ाने , विकास के अन्यप्रतीकों को नष्ट-भ्रष्ट कर वे साबित करना चाहते है कि उनकी समानांतर सरकार चल रही है.
यूपीए सरकार को आड़े हाथों लेते हुए उन्होंने कहा कि देश में लोकतंत्र की वास्तविक प्रतिष्ठापना तभी हो सकती है जबकि हम आपसी मतभेद भुलाकर विकास के लिए एकजुटता का प्रदर्शन करें.
वैसे इस मंच से अरुण जेटली ने माओवादी आतंकवादियों के लिए किसी भी प्रकार के रहम को खारिज कर दिया. निश्चित रूप से यह बात प्रशंसनीय कही जाएगी कि कम से कम विपक्ष आज भी नक्सलियों के बारे में एकमत है. नक्सली किसी भी वार्ता को हर समय सिर्फ अपनी ताकत बढाने के लिए इस्तेमाल करते रहे है ना कि विकास के लिए काम आगे बढ़ने देने में. अब उनकी मूल मंशा सत्ता पर अधिकार करने की है और इसीलिए वे कभी भी वार्ता से बात बनाने के पक्षधर नहीं हैं. ऐसे में दृढ कदम उठाना ही समय की पुकार है.
Read Comments